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‘नेल पॉलिश’लगवाकर नहीं रोक पाएंगे रेप

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अमेरिका में भारतीय मूल के अंकुश मदान समेत चार स्टूडेंट्स ने मिलकर एक अनोखी नेल पॉलिश तैयार की है, जिसकी देश-विदेश में खूब चर्चा है। रोहिप्नोल, जॉनक्स और जीएचबी (गामा-हाइड्रोक्सीबुटिरिक एसिड) जैसे डेट रेप ड्रग्स के संपर्क में आते ही इस नेल पॉलिश का रंग बदल जाता है। इसके निर्माताओं का दावा है कि इससे डेट की आड़ में होने वाले रेप के मामलों को रोका जा सकेगा। डेट रेप ड्रग्स वे नशीली दवाएं होती हैं जिनके सेवन के बाद व्यक्ति नींद जैसी स्थिति में पहुंच जाता है। बनाई तो यह दवा डॉक्टरों के लिए गई है, लेकिन तमाम मौकों पर इसके बेजा इस्तेमाल के मामले दुनिया भर में सामने आ रहे हैं। नेल पॉलिश बनाने वाली स्टूडेंट्स की कंपनी ‘अंडरकवर कलर्स’ की ओर से कहा जा रहा है कि इससे कोई भी महिला अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है। वह चुपचाप उसे दी गई ड्रिंक में उंगली डाले। यदि उसमें किसी तरह का नशीला पदार्थ मिला होगा तो नेल पॉलिश का रंग बदल जाएगा।

इस उपाय को जहां तुरत-फुरत लागू होने वाला और पहचान व प्रिवेंशन का अब तक का सबसे आसान तरीका माना जा रहा है, वहीं एक तबके का यह भी कहना है कि जिन चार रेप ड्रग्स को यह नेल पॉलिश डिटेक्ट करती है, उनके अलावा भी कई और ड्रग्स हैं जिनका दुरुपयोग किया जाता है। रेप रोकने की जिम्मेदारी महिलाओं पर डालने वाले इस तरह के उपायों पर महिला अधिकारों के पैरोकार बिफरे हुए हैं। इनका कहना है कि इन उपायों को अपनाने का दूरगामी नतीजा ये भी होगा कि जिन महिलाओं ने इनका इस्तेमाल नहीं किया होगा, उनको उनके साथ होने वाले हादसों के लिए यह कहकर जिम्मेदार ठहराया जाएगा कि उन्होंने खुद सावधानी नहीं बरती।

यह मूलत: ऐसा उपाय है जिसमें अपराध रोकने की बजाय महिलाओं पर खुद को बचाने की जिम्मेदारी डाली जा रही है। जबकि, होना तो यह चाहिए कि महिलाओं को इतना सक्षम और जागरूक बनाया जाए कि वे ‘गलत नीयत वाले’ को पलट कर घूंसा जड़ सकें। कुल मिलाकर यह आविष्कार भी ऐंटि-रेप अंडरवेयर और ऐंटि-रेप जीन्स सरीखे उन प्रॉडक्ट्स की लंबी फेहरिस्त का हिस्सा ही है जिनके जरिए महिलाओं के सामान्य व्यवहार और आदतों को बांधकर उन पर पुरुषों का शिकार न बनने के लिए प्रिवेंटिव उपाय करने का जिम्मा थोप दिया जाता है। क्या जरूरत इस बात की नहीं है कि पुरुषों को महिलाओं की ‘ना’ और ‘हां’ का सम्मान करना सिखाया जाए?

रेप ड्रग के जरिए होने वाले यौन अपराधों की संख्या भले ही विदेशों में बहुत ज्यादा और अपने यहां अपेक्षाकृत कम हो, लेकिन अपने देश में अन्य नशीले पदार्थों (मात्र शराब भर) के जरिए भी लड़कियों को बेसुध कर बेजा फायदा उठाने का मामले इधर बढ़े हैं। हाल में दिल्ली महिला आयोग ने डेट रेप ड्रग्स के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए तैयार की गई गाइडलाइंस संबंधी रिपोर्ट सौंपी है। दरअसल कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में आयोग को इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था। नशीला पदार्थ खिलाकर रेप करने के दोषी लड़के को कोर्ट ने 10 साल कारावास की सजा सुनाई थी। दोषी ने न सिर्फ रेप किया था बल्कि विडियो बनाकर ब्लैकमेल भी किया था। ऐसे मामलों में कई उपाय संभव हैं। बस उनको ईमानदारी से इंप्लिमेंट किए जाने की आवश्यकता है। इस तरह के मामले में दोषी पाए गए पुरुषों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए और उनका सोशल बॉयकॉट हो। फिर चाहे मामला नशीला पदार्थ खिलाकर छेड़छाड़ का हो या रेप का।

साथ ही लड़कियों को जागरूक बनाने के लिए स्कूल, कॉलेज अन्य शिक्षण संस्थानों में बाकायदा क्लासेस हों। महिला संगठनों के साथ मिलकर निजी और सरकारी कार्यालयों में समय- समय पर प्रशिक्षण की मैंडेटरी व्यवस्था हो। स्कूलों में यौन शिक्षा लागू करने पर राजनीति बंद हो ताकि सेक्स को लेकर एक स्वस्थ मानसिकता का विकास हो सके।

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